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Smart Metering vs Net Metering in the Indian Context Hindi

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स्मार्ट मीटरिंग और नेट मीटरिंग क्या है, जानें इसका महत्व

ऊर्जा का उपयोग दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है और इस मामले में लोग आत्मनिर्भर भी बनना चाहते हैं। यही वजह है कि वर्तमान में सौर ऊर्जा का विकल्प सबकी पहली पसंद बनता जा रहा है। जैसे-जैसे भारत हरे-भरे भविष्य की तरफ आगे बढ़ रहा है, हम ऊर्जा को किस तरह से मापते हैं और उसका उपयोग कैसे करते हैं, यह महत्वपूर्ण होता जा रहा है। ऊर्जा मीटर जिस  तरह से काम करते हैं, यह उपभोक्ताओं (Consumers), सोलर पैनलों और ग्रिड को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस ब्लॉग में हम स्मार्ट मीटरिंग और नेट मीटरिंग, भारत में इनके महत्व और चुनौतियों के बारे में बात करेंगे। साथ ही हम क्रेडिट, बिलिंग संरचनाओं और दोबारा उपयोग की जाने वाली ऊर्जा को अपनाने से पड़ने वाले प्रभावों के बारे में भी बात करेंगे।

Table of Contents

भारत में छत पर लगने वाले सोलर सिस्टम की शुरुआत

छत पर सोलर सिस्टम: सबके पास सूर्य की शक्ति

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांति:

भारत में धीरे-धीरे छतों पर सोलर पैनल लगवाने का चलन बढ़ता जा रहा है और यह ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। घरों से लेकर व्यवसाय और उद्योग सभी स्वच्छ एवं दोबारा उपयोग की जाने वाली ऊर्जा के उत्पादन में सक्रिय रूप से भूमिका निभा रहे हैं।

सोलर फोटोवॉल्टिक सिस्टम छतों की शोभा बढ़ा रहे हैं और ऊर्जा के मामले में लोगों को आत्मनिर्भर भी बना रहे हैं, लेकिन उत्पन्न की गई बिजली को कैसे सही तरीक़े से मापा और क्रेडिट किया जाये, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है, जिसके बारे में हर कोई जानना चाहता है।

नेट मीटरिंग: खपत और उत्पादन के बीच का पुल

क्या होती है नेट मीटरिंग:

नेट मीटरिंग, एक बिलिंग व्यवस्था है, जो सोलर पैनल मालिकों को उनके द्वारा उत्पादित की गई अतिरिक्त बिजली को बेचकर क्रेडिट कमाने और ग्रिड में वापस फ़ीड करने में मदद करती है।

नेट मीटरिंग के अंतर्गत बिजली का मीटर दोनों तरफ़ चलता है और ग्रिड से खपत की गई बिजली और ग्रिड में वापस भेजी गई अतिरिक्त बिजली दोनों को मापता है।

कैसे काम करती है नेट मीटरिंग:

जब सोलर पैनल साइट पर खपत की अपेक्षा बिजली का उत्पादन ज़्यादा होता है, तब अतिरिक्त ऊर्जा वापस ग्रिड में प्रवाहित हो जाती है।

नेट मीटर खपत की गई कुल बिजली को मापता है और सोलर पैनलों द्वारा उत्पन्न की गई बिजली को घटा देता है। इस तरह, उपभोक्ताओं को केवल उपयोग की गई शुद्ध बिजली के लिए बिल दिया जाता है।

खुदरा दर पर बिलिंग:

जब आप अपने सोलर पैनलों से अपने व्यक्तिगत उपयोग की तुलना में अधिक बिजली का उत्पादन करते हैं, तब ग्रिड को भेजी गई अतिरिक्त बिजली से आपको क्रेडिट मिलता है। इस क्रेडिट का मूल्य उसी दर पर लगाया जाता है, जिस दर पर आपके द्वारा उपभोग की जाने वाली बिजली के लिए आपसे शुल्क लिया जाता है।

यह प्रणाली सौर पैनल मालिकों को उचित मुआवजे की गारंटी देती है, जिससे घरों और व्यवसायों दोनों के लिए सोलर पैनल स्थापित करवाना एक बढ़िया विकल्प बन जाता है।

स्मार्ट मीटरिंग: बेहतरीन और सबसे सटीक

क्या होता है स्मार्ट मीटर :

स्मार्ट मीटर, सामान्य ऊर्जा मीटर का आधुनिक और उन्नत वर्जन होता है। यह आपकी बिजली के उपयोग को मापने के साथ ही उससे संबंधित रियल टाइम डेटा भी प्रदान करता है।

यह मीटर आपके और आपकी यूटिलिटी कंपनी के बीच होने वाले संचार को दोतरफा बनाता है। इसका मतलब है कि आप कितनी बिजली का उपयोग कर रहे हैं, आप उस पर नज़र रख सकते हैं और उसे नियंत्रित कर सकते हैं।

स्मार्ट मीटर के साथ वर्चुअल नेट मीटरिंग की सुविधा:

भारत में, जहां भौतिक नेट मीटर (Physical net meters) को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है; वहीं, स्मार्ट मीटर वर्चुअल नेट मीटरिंग की सुविधा भी देता है।

वर्चुअल नेट मीटरिंग किसी भवन या समुदाय के भीतर विभिन्न उपयोगकर्ताओं या संस्थाओं को उपभोग के बाद बचने वाली बिजली के लिए क्रेडिट प्रदान करती है, जिससे साझा सौर प्रतिष्ठानों (Shared solar installations) को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

सटीक बिलिंग:

स्मार्ट मीटर, सोलर पैनलों द्वारा उत्पादित और ग्रिड से उपयोग की जाने वाली बिजली को सटीक रूप से ट्रैक करते हैं। जिससे सोलर पैनल मालिकों के लिए उचित बिलिंग और उचित मुआवजा सुनिश्चित होता है।

भारत के संदर्भ में चुनौतियां और अवसर

नियम संबंधी चुनौतियां:

भारत में नेट मीटरिंग और स्मार्ट मीटरिंग को लेकर, नियमों से संबंधित कई चुनौतियां और अवसर हैं। नियम महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यही तय करते हैं कि नेट मीटरिंग और स्मार्ट मीटरिंग व्यावहारिक और फायदेमंद हैं या नहीं।

नेट मीटरिंग का समर्थन करने वाली नीतियों के मामले में भारत ने काफी प्रगति की है, लेकिन स्मार्ट मीटर का उपयोग अभी भी विकसित हो रहा है।

ग्रिड इंटिग्रेशन:

पहले की अपेक्षा अपने घर की छतों पर सोलर पैनल लगवाने वालों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है, ऐसे में हमें उन्हें पावर ग्रिड से जोड़ने के बारे में सोचना होगा। हमें यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि नेट मीटर और फैंसी स्मार्ट मीटर; दोनों वर्तमान ग्रिड सेटअप के साथ आसानी से जुड़ सकें।

उपभोक्ता जागरूकता:

नेट मीटरिंग और स्मार्ट मीटरिंग दोनों की सफलता उपभोक्ताओं की जागरूकता और उनकी समझ पर निर्भर करती है। जब उपभोक्ताओं को इन प्रणालियों के लाभों और इनकी कार्यप्रणाली के बारे में अच्छे से जानकारी होगी, तभी ज़्यादा से ज़्यादा लोग इसे अपनाने के लिए तैयार होंगे।

नेट मीटरिंग और स्मार्ट मीटरिंग के लाभ

वित्तीय लाभ:

नेट मीटरिंग सोलर पैनल स्थापित करने वाले लोगों को अपनी बिजली बिलों को कम करने के लिए उत्पन्न की गई अतिरिक्त बिजली से क्रेडिट कमाने का मौक़ा देती है, जिससे पैसे बचाने में मदद मिलती है।

स्मार्ट मीटर आपको ऊर्जा बचाने में मदद करते हैं। ये सुनिश्चित करते हैं कि आपकी बिल सही हो और आप कम से कम ऊर्जा का उपयोग करें। इस तरह आपको कुछ अतिरिक्त बचत करने में मदद मिल सकती है। 

दोबारा उपयोग की जाने वाली ऊर्जा को प्रोत्साहित करना:

नेट मीटरिंग और स्मार्ट मीटरिंग दोनों का उपयोग करने से ज़्यादातर लोगों को सोलर पैनलों का उपयोग करने में मदद मिलती है, जिससे दोबारा उपयोग की जाने वाली ऊर्जा को प्रोत्साहन मिलता है।

नेट मीटरिंग सोलर सेटअप को पैसे के लिहाज से अधिक सार्थक बनाती है, और स्मार्ट मीटरिंग सौर ऊर्जा प्रणालियों को बेहतर और अधिक विश्वसनीय रूप से काम करने के योग्य बनाती है। 

पर्यावरणीय प्रभाव:

नेट मीटरिंग और स्मार्ट मीटरिंग के माध्यम से सौर ऊर्जा को व्यापक रूप से अपनाने में सहायता मिलती है, जिससे पारंपरिक और प्रदूषणकारी ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम होती है। यह सीधे तौर पर पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।  

वास्तविक दुनिया में उपयोग और सफलता की कहानियां

आवासीय सोलर सिस्टम स्थापनाएं:

नेट मीटरिंग से घर पर सोलर पैनल लगवाने वाले लोग न केवल बिजली का उपयोग करते हैं, बल्कि इसे ग्रिड को वापस भी बेचते हैं। जिससे वे ग्रिड में ऊर्जा योगदानकर्ता बन जाते हैं और कुछ अतिरिक्त पैसे कमाते हैं।

स्मार्ट मीटर लोगों द्वारा उपयोग और उत्पादन की जाने वाली बिजली को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने में मदद करता है। जिससे घर के मालिकों को ऊर्जा का अधिक कुशलता से उपयोग करने के टिप्स मिलते हैं।

सामुदायिक सोलर प्रोजेक्ट्स:

स्मार्ट मीटर द्वारा सक्षम वर्चुअल नेट मीटरिंग ने भारत में सामुदायिक सोलर प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने में सहायता की है। एक समुदाय के कई घर या संस्थाएं एक ही सोलर सिटस्टम स्थापित करवाकर उसका लाभ उठा सकते हैं।

छत की जगह का स्मार्ट तरीके से उपयोग करना और सौर ऊर्जा को दूसरों के साथ मिलकर उपयोग करना – यही इस दृष्टिकोण के पीछे का विचार है। 

भविष्य की दिशा और नीतिगत अड़चन

पॉलिसी सपोर्ट:

वास्तव में भारत में ज़्यादा से ज़्यादा लोग नेट मीटरिंग और स्मार्ट मीटरिंग का उपयोग कर सकें, इसके लिए बड़े स्तर पर लगातार सरकारी सपोर्ट की आवश्यकता है।

नियम बनाने वाले लोगों को ऐसे नियम बनाने चाहिए, जिससे इन प्रणालियों को हमारे वर्तमान ऊर्जा सेटअप में सुचारू रूप से जोड़ने में मदद मिल सके और किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।

तकनीकी का विकास:

जिस तरह से वर्तमान में तकनीकी का विकास हो रहा है, उसे देखकर कहा जा सकता है कि भविष्य में स्मार्ट मीटरिंग और नेट मीटरिंग को आगे बढ़ाने में तकनीकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

मीटरिंग प्रौद्योगिकी (Metering technology), ग्रिड मैनेजमेंट, और ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में हो रही नई-नई खोज इन प्रणालियों को बेहतर बनाने में मदद करेगी।

निष्कर्ष:

संक्षेप में कहें तो, जब भारत में स्मार्ट मीटरिंग और नेट मीटरिंग के बीच चयन करने की बात आती है, तो इसमें थोड़ी मुश्किल हो सकती है। क्योंकि, दोनों का अपना-अपना महत्व है। यह एक टीम वर्क की तरह है, जो हमारे ऊर्जा के उपयोग करने के तरीके को पूरी तरह से बदल सकता है।

नेट मीटरिंग एक बेहतरीन सुविधा है। यह बिलिंग को आसान बनाती है और उन लोगों को बढ़ावा देती है, जिन्होंने सोलर पैनल लगवाए हैं।

दूसरी तरफ, स्मार्ट मीटरिंग तकनीकी गुरु की तरह है। यह बहुत ही सटीक है, और इसमें वर्चुअल नेट मीटरिंग का जादू भी देखने को मिलता है। समस्याओं से निपटने और सौर ऊर्जा के साथ अधिक स्थानों और व्यवसायों को जोड़ने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जैसे-जैसे भारत हरे-भरे और स्थायी भविष्य की ओर बढ़ रहा है; स्मार्ट और नेट मीटरिंग के बीच टीम वर्क, सूर्य की असीमित ऊर्जा की अद्भुत शक्ति को अनलॉक करने की चाबी बन सकती है। इसी तरह हम ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनकर अपने आने वाले कल को बेहतर बना सकते हैं।

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Shivam Punjabi
Shivam Punjabi

January 1, 2022

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