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गंदगी कैसे करती है सोलर पैनल को खराब

सौर ऊर्जा को सूर्य देव और प्रकृति मां का आशीर्वाद कहा जाये, तो गलत नहीं होगा। वर्तमान में सौर ऊर्जा घरों, व्यवसायों और उद्योगों के लिए सूर्य की स्वच्छ और हरित ऊर्जा का उपयोग करने का शानदार तरीक़ा है। हालांकि, इस रास्ते में कई रुकावटें भी हैं। कुछ चीजें हैं, जो सोलर पैनलों को अच्छी तरह से काम करने में गड़बड़ी कर सकती हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं धूल-मिट्टी और गंदगी की। इस ब्लॉग में हम विस्तार से बतायेंगे कि धूल-मिट्टी और गंदगी किस तरह से सोलर पैनलों को प्रभावित कर सकती है, यह कितनी तेज़ी से असर डालती है और कैसे यह सोलर पैनल मालिकों को वित्तीय रूप से प्रभावित करती है।

Table of Contents

सोलर पैनल के मामले में गंदगी का मतलब:

गंदगी की दर:

आइये सबसे पहले हम गंदगी की दर क्या होती है, इसके बारे में जानते हैं। दरअसल, गंदगी की दर यह बताती है कि कितनी तेज़ी से गंदगी और धूल-मिट्टी जैसी चीजें सोलर पैनलों पर जमा होती हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने सोलर पैनलों को कहां लगवाया है। उदाहरण के लिए अगर आपने सोलर पैनलों को सूखी या धूल-मिट्टी से भरी जगहों पर लगवाया है, तो पैनलों पर ज़्यादा गंदगी होगी।

सामान्य गंदगी:

अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरह की गंदगी का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए अगर सोलर पैनल तटीय क्षेत्रों के आस-पास लगे हुए हैं, तो उन पर नमक का जमाव हो सकता है। शहरों में धूल-मिट्टी और धुएं जैसे प्रदूषण और कंस्ट्रक्शन साइटों पर सीमेंट और रेंत के कणों का सामना करना पड़ सकता है

सोलर पैनलों पर गंदगी जमा होना:

मौसम, हवा की गुणवत्ता और उनके आस-पास मौजूद चीज़ों के कारण सोलर पैनलों पर समय के साथ धीरे-धीरे गंदगी जमा होती है। लंबे समय तक लगातार ऐसा होने की वजह से सोलर पैनलों की सतह पर धूल-मिट्टी और गंदगी की एक मोटी परत जमा हो जाती है, जिससे सोलर पैनलों के लिए सूर्य की रोशनी को सोखकर ऊर्जा उत्पन्न करना कठिन हो जाता है।

सोलर पैनलों पर गंदगी का प्रभाव:

गंदगी के कारण नुक़सान:

धूल-मिट्टी और गंदगी की वजह से सोलर पैनलों के प्रदर्शन पर बुरा असर पड़ता है। सोलर पैनल सूर्य की रोशनी को सही तरह से सोख नहीं पाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बिजली के कुल उत्पादन में भारी कमी आ जाती है। 

बिजली उत्पादन में कमी:

गंदे सोलर पैनलों का सीधा मतलब है बिजली उत्पादन में कमी। अगर आपका घर, व्यवसाय या उद्योग सौर ऊर्जा के ऊपर निर्भर है और लगाये गये सोलर पैनल गंदे हो गये हैं, तो वे उतनी बिजली पैदा नहीं करेंगे, जितनी उन्हें करनी चाहिए।

ऊर्जा उपज प्रभाव:

धूल-मिट्टी और गंदगी का फ़ोटोवॉल्टिक (PV) सिस्टम की ऊर्जा उपज से सीधा संबंध है। जैसे-जैसे सोलर पैनलों पर गंदगी जमा होती है, सूर्य के प्रकाश का अवशोषण कम होने लगता है। जिसका नतीजा यह होता है कि ऊर्जा के उत्पादन में धीरे-धीरे गिरावट आ जाती है।

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सॉयलिंग स्टेशन्स:

क्या आपने कभी सॉयलिंग स्टेशन्स के बारे में सुना है? दरअसल, ये सोलर पैनलों के निगरानिकर्ता की तरह होते हैं। ये स्टेशन सोलर पैनलों के गंदगी के दर की जांच करते हैं और लाइव अपडेट देते हैं, जिससे यह पता चल जाता है कि सफ़ाई कब करनी है। अपडेट मिलने के बाद आप अपनी सुविधानुसार पैनलों को साफ़ करने की योजना बना सकते हैं।

सफ़ाई की रणनीतियां:

चीजों को साफ़-सुथरा रखना बहुत ज़रूरी होता है। आप किसी भी चीज की कितनी बार सफ़ाई करते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आस-पास का माहौल कैसा है और वह चीज कितनी गंदी है। सोलर पैनलों की सफ़ाई के मामले में आप एक सही रणनीति बनाएं और उसका सही तरीक़े से पालन करें।

सतह कोटिंग्स:

शोधकर्ता हाइड्रोफ़ॉबिक और ख़ुद से सफ़ाई करने वाली कोटिंग्स जैसी आकर्षक चीजों की खोज कर रहे हैं। इस खोज का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सोलर पैनलों पर ज़्यादा धूल-मिट्टी और गंदगी जमा न हो, ताकि उन्हें आसानी से साफ़ किया जा सके।

बड़े स्तर के सोलर प्रोजेक्ट्स पर गंदगी का प्रभाव:

बड़े प्रोजेक्ट्स:

गंदे सोलर पैनल केवल घरों को ही प्रभावित नहीं करते हैं; बल्कि गंदगी की वजह से बड़े स्तर के सोलर प्रोजेक्ट्स को भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जब बड़े स्तर के सोलर प्रोजेक्ट्स की बात आती है तो गंदगी भी बड़े स्तर पर होती है, जिसका सीधा असर ऊर्जा उत्पादन पर पड़ता है। 

हानि संबंधी विचार:

बड़े स्तर के सोलर प्रोजेक्ट्स को अक्सर गंदगी की वजह से भारी नुक़सान का सामना करना पड़ता है। बड़े स्तर के सोलर प्रोजेक्ट्स लंबे समय तक बिना किसी परेशानी के सही तरह से काम करें और बिजली का भरपूर उत्पादन करते रहें, इसके लिए ज़रूरी है कि आपको गंदगी की दर के बारे में अच्छे से जानकारी हो।

उन्नत निगरानी और विश्लेषण:

बड़े स्तर के सोलर प्रोजेक्ट्स में अक्सर इंडिविजुअल सोलर पैनलों के प्रदर्शन को ट्रैक करने के लिए उन्नत निगरानी और विश्लेषण करने वाले उपकरणों का उपयोग किया जाता है। डेटा आधारित इस दृष्टिकोण की मदद से सफ़ाई की योजना बनाने और ख़राब प्रदर्शन करने वाले सोलर पैनलों की पहचान करना आसान होता है।

पर्यावरणीय कारकों का प्रभाव:

मौसम की स्थिति:

अलग-अलग मौसम की स्थितियां धूल-मिट्टी या गंदगी के प्रभाव को बढ़ा सकती हैं। जिन जगहों पर बार-बार धूल भरी आंधियां आती हों या कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा हो, उन जगहों पर गंदगी की दर ज़्यादा हो सकती है। 

भौगोलिक प्रभाव:

अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में अलग-अलग तरह की गंदगी का सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, तटीय क्षेत्रों में समुद्री हवाओं की वजह से सोलर पैनलों पर नमक का जमाव हो सकता है, जबकि शहरी क्षेत्रों में औद्योगिक गतिविधियों या अन्य प्रदूषकों की वजह से सोलर पैनलों पर धुएं की वजह से काली परत चढ़ सकती है।

मौसमी बदलाव:

मौसमी बदलाव भी धूल-मिट्टी या गंदगी की दर को प्रभावित कर सकते हैं। शुष्क और हवा वाले मौसम में धूल-मिट्टी का जमाव बढ़ सकता है, जिससे सोलर पैनलों की ऊर्जा उत्पादन की क्षमता प्रभावित हो सकती है।

कैसे करें सोलर पैनलों की सफ़ाई:

घर, व्यवसाय या उद्योगों पर लगे सोलर पैनलों को नियमित साफ़ करना ज़रूरी है, ताकि वह सही तरह से काम कर सकें। नीचे सोलर पैनलों की सफ़ाई के कुछ तरीक़े बताये गये हैं:

नियमित साफ़-सफ़ाई:

सोलर पैनलों की नियमित साफ़-सफ़ाई करना बहुत ही आवश्यक है। आप अपने क्षेत्र के पर्यावरण और मौसम की स्थिति के आधार पर सोलर पैनलों को साल में एक बार या ज़रूरत के हिसाब से दो बार साफ़ कर सकते हैं। सोलर पैनलों को साफ़ करने के लिए हमेशा मुलायम ब्रश या स्पंज, कम कास्टिक वाले डिटर्जेंट या शैंपू और पानी का ही उपयोग करें। भूलकर भी सोलर पैनलों को साफ़ करने के लिए खुरदुरी चीज का इस्तेमाल न करें, इससे उनपर खरोंच पड़ सकती है।

ऑटोमेटिक सफ़ाई सिस्टम:

जो लोग हाथ से सोलर पैनलों की सफ़ाई नहीं करना चाहते हैं, उनके लिए ऑटोमेटिक सफ़ाई सिस्टम भी उपलब्ध हैं। ये सिस्टम निर्धारित  समय पर सोलर पैनलों को ऑटोमेटिक रूप से साफ़ करने के लिए रोबोटिक उपकरणों या वॉटर जेट का उपयोग करते हैं। हालांकि, ऑटोमेटिक सफ़ाई सिस्टम थोड़े महंगे होते हैं, फिर भी ये काफ़ी समय बचाते हैं और सफ़ाई के मामले में बेहतरीन रिज़ल्ट देते हैं।

प्राकृतिक सफ़ाईकर्मी के रूप में बारिश:

जिन क्षेत्रों में ज़्यादा बारिश होती है, वहां पर सोलर पैनलों की सफ़ाई के लिए प्राकृतिक बारिश के ऊपर निर्भर रहा जा सकता है। बारिश का पानी धूल-मिट्टी और गंदगी को धोकर सोलर पैनलों को साफ़ रखने का काम करता है। हालांकि, जिन क्षेत्रों में कम बारिश होती है, वहां सोलर पैनलों की सफ़ाई के लिए बारिश के ऊपर निर्भर नहीं रहा जा सकता है।

गंदगी के दर की निगरानी:

सॉयलिंग स्टेशन या मॉनिटरिंग सिस्टम का उपयोग करके रियल टाइम डेटा प्रदान किया जा सकता है। डेटा के माध्यम से यह जानना आसान हो जाता है कि सोलर पैनलों की गंदगी की दर क्या है। इससे उनकी सफ़ाई का समय निर्धारित करने में काफ़ी आसानी होती है। 

कोटिंग सॉल्यूशंस:

हाइड्रोफ़ोबिक कोटिंग्स, सोलर पैनलों पर पानी को रोकने और गंदगी को जमने से बचाने का काम करते हैं। सोलर पैनलों पर ऐसी कोटिंग का उपयोग करके धूल-मिट्टी और गंदगी के प्रभाव को काफ़ी कम किया जा सकता है, जिससे उन्हें बार-बार साफ़ करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

गंदगी की वजह से घर के मालिकों पर पड़ने वाला वित्तीय प्रभाव:

सोलर पैनलों पर गंदगी की वजह से किस तरह के वित्तीय प्रभाव पड़ते हैं, इसके बारे में सोलर पैनल लगवाने वाले हर व्यक्ति को ज़रूर जानना चाहिए। आइये इसे उदाहरण के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं:

उदाहरण: मान लीजिए कि आपने अपने घर पर एक 5 किलोवॉट का सोलर सेटअप किया है।

सोलर सिस्टम की क्षमता 5 किलोवॉट (kW) है।

अच्छी परिस्थितियों में औसत दैनिक ऊर्जा उत्पादन 20 किलोवॉट-घंटे (kWh) है।

स्थानीय गंदगी के दर की वजह से हर तीन महीने में सोलर पैनलों की सफ़ाई करनी पड़ती है। 

गंदगी से होने वाली हानि:

आइए मान लेते हैं कि सफ़ाई के बिना, गंदगी की वजह से सिस्टम की क्षमता में 10% की कमी आती है।

ऊर्जा हानि की गणना:

गंदगी के बिना दैनिक ऊर्जा उत्पादन: 20 kWh

गंदगी की वजह से दैनिक ऊर्जा हानि: 20 kWh का 10% = 2 kWh

गंदगी के साथ दैनिक ऊर्जा उत्पादन: 20 kWh – 2 kWh = 18 kWh 

मासिक ऊर्जा हानि:

मासिक ऊर्जा हानि: 2 kWh/दिन x 30 दिन = 60 kWh

गंदगी के साथ मासिक ऊर्जा उत्पादन: 600 kWh – 60 kWh = 540 kWh

वार्षिक ऊर्जा हानि:

वार्षिक ऊर्जा हानि: 60 kWh/माह x 12 महीने = 720 kWh

गंदगी के साथ वार्षिक ऊर्जा उत्पादन: 6,480 kWh – 720 kWh = 5,760 kWh

वित्तीय हानि की गणना:

मान लेते हैं कि औसत बिजली दर ₹7 प्रति kWh है। इस तरह वार्षिक वित्तीय हानि ₹5,040 (₹7/kWh x 720 kWh) होगी।

इस उदाहरण के माध्यम से हमने यह समझाने का प्रयास किया है कि अगर आपके घर के सोलर पैनल गंदे हो जाते हैं, तो उससे आपकी वित्तीय स्थिति पर प्रभाव पड़ सकता है। वास्तविक प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां रहते हैं, आपका सोलर सिस्टम सेटअप कितना पड़ा है और आप उसे कितनी बार साफ़ करते हैं। इसलिए, हमेशा अपने सोलर पैनलों की नियमित सफ़ाई करना बहुत आवश्यक है। इस तरह आप काफ़ी पैसे बचा सकते हैं।

निष्कर्ष: बेहतर ऊर्जा उत्पादन के लिए हमेशा अपने सोलर पैनलों साफ़ रखें

जो लोग अपने घरों, व्यवसायों और उद्योगों में ऊर्जा की आपूर्ति के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करते हैं, उनके लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि धूल-मिट्टी और गंदगी सोलर पैनलों को कैसे प्रभावित कर सकती है। जब भी हम सोलर पैनल लगवाते हैं, तब गंदगी की वजह से उसके प्रदर्शन पर क्या प्रभाव पड़ता है, उसे पहचानना महत्वपूर्ण हो जाता है।

सोलर पैनलों को सही तरीक़े से लंबे समय तक चलाने के लिये आप नियमित रूप से उनकी सफ़ाई कर सकते हैं। गंदगी जमा होने पर नज़र रखने के लिये सॉयलिंग स्टेशन्स का उपयोग कर सकते हैं, पैनलों के ऊपर कोटिंग सॉल्यूशंस का उपयोग कर सकते हैं और ज़्यादा ऊर्जा उत्पादित करके आत्मनिर्भर बन सकते हैं। बेहतर भविष्य के लिए सूर्य की इस असीमित ऊर्जा का सही तरह से कैसे उपयोग किया जाये, इसकी जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है।

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Shivam Punjabi
Shivam Punjabi

January 1, 2022

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