सौर ऊर्जा के उत्पादन में बरसात के मौसम का प्रभाव
हमारे देश में सालभर में कई तरह के मौसम देखने को मिलते हैं। अलग-अलग मौसम में सौर ऊर्जा का उत्पादन अलग-अलग होता है। बरसात के मौसम में असमान में घनघोर बादल और कभी-कभी भयंकर आंधी-तूफ़ान भी देखने को मिलते हैं। ज़्यादातर बरसात के मौसम में सोलर सिस्टम को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन इसके कुछ फ़ायदे भी हैं। इस ब्लॉग में हम बरसात के मौसम में सौर ऊर्जा के उपयोग के फ़ायदे और नुक़सान दोनों के बारे में विस्तार से जानेंगे। बादलों की वजह से सूर्य के कम प्रकाश से लेकर बिलकुल भी न दिखने वाले सूर्य के प्रकाश में फ़ोटोवॉल्टिक पैनल किस तरह काम करते हैं और यह कितने प्रभावी होते हैं, हम सबके बारे में जानेंगे। साथ ही हम यह भी जानेंगे कि सोलर सिस्टम मौसम के बदलाव से उत्पन्न होने वाली परेशानियों का सामना कैसे करते हैं।
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Toggleबरसात का मौसम सौर ऊर्जा के उत्पादन में किस तरह से फ़ायदेमंद है:
प्राकृतिक रूप से सोलर पैनलों की सफ़ाई:
बरसात का मौसम प्राकृतिक सफ़ाईकर्मी की तरह काम करता है, इसलिए जब भी बारिश होती है सोलर पैनलों की अपने आप सफ़ाई हो जाती है। बारिश की वजह से पैनलों पर जमी धूल-मिट्टी साफ़ होते ही सूरज की रोशनी फ़ोटोवॉल्टिक सेल्स तक ज़्यादा मात्र में पहुंचती है, जिससे ऊर्जा का उत्पादन बढ़ जाता है।
सोलर पैनलों के तापमान में कमी:
ज़्यादा गर्म होने की वजह से सोलर पैनलों की ऊर्जा उत्पन्न करने की क्षमता कम हो जाती है। वहीं, बरसात के मौसम में बारिश की बूंदें पैनलों के तापमान को कम कर देती हैं, जिससे ऊर्जा उत्पन्न करने की उनकी क्षमता बढ़ जाती है। इसके साथ ही बारिश की बूंदें पैनलों के तापमान को कम करके उन्हें लंबे समय तक टिकने योग्य भी बनाती हैं।
पर्यावरणीय स्थिरता बनाये रखने में सहायक:
बरसात का मौसम सौर ऊर्जा को अधिक पर्यावरण-अनुकूल बनाने में मदद करता है। दोबारा उपयोग की जाने वाली ऊर्जा का उपयोग करके हम जीवाश्म ईंधनों पर अपनी निर्भरता को कम कर सकते हैं। इससे हम जलवायु परिवर्तन को कम कर सकते हैं और हरी-भरी ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा भी दे सकते हैं।
सोलर पैनलों को लंबे समय तक चलाने में सहायक:
अत्यधिक गर्मी की वजह से सोलर पैनलों के ख़राब होने का ख़तरा होता है, वहीं बारिश की ठंडी-ठंडी बूंदें सोलर पैनलों को ठंडा करके उन्हें लंबे समय तक चलाने में सहायता करती हैं। ठंडे मौसम की वजह से सोलर पैनलों की ऊपरी सतह के टूटने का ख़तरा भी काफ़ी कम हो जाता है, जिससे सोलर सिस्टम लंबे समय तक बिना किसी रुकावट के ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
बरसात का मौसम सौर ऊर्जा के उत्पादन में किस तरह से नुक़सान पहुंचा सकता है:
सूर्य के प्रकाश में कमी:
बरसात के मौसम में घनघोर बादलों की वजह से सूर्य की किरणें सही तरह से सोलर पैनलों पर नहीं पड़ती हैं। सोलर पैनलों पर सूर्य की किरणें कम पड़ने की वजह से ऊर्जा उत्पादन में कमी हो जाती है।
सौर ऊर्जा के उत्पादन में कमी:
सामान्य मौसम की अपेक्षा बरसात के मौसम में सूर्य के प्रकाश की तीवत्र भी काफ़ी कम होती है, जिससे सोलर पैनलों की ऊर्जा उत्पादन क्षमता में काफ़ी कमी आ जाती है। कई बार तो घनघोर बादलों की वजह से कई दिनों तक सूर्य दिखाई ही नहीं देता है, जिससे सौर ऊर्जा की उत्पादन क्षमता पर बुरा असर पड़ता है।
प्रकाश परावर्तन में बढ़ोतरी या रुकावट:
सोलर पैनलों पर पड़ने वाली बारिश की बूंदें सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित कर देती हैं या प्रकाश को रोक देती हैं, जिससे ऊर्जा रूपांतरण की क्षमता कम हो जाती है। भारी बरसात के समय इसका प्रभाव ज़्यादा देखने को मिलता है।
ऊर्जा उत्पादन की दक्षता में कमी:
सोलर पैनलों को इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि वह सूर्य की कम रोशनी में भी काम कर सकें। हालांकि, सूर्य की कम रोशनी होने की वजह से सोलर पैनलों की ऊर्जा उत्पादन दक्षता में कमी आ जाती है। बरसात के मौसम में सोलर पैनल बिजली उत्पादन करके ज़्यादा ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हो सकते हैं।
तूफ़ानों के प्रति संवेदनशीलता:
बरसात के मौसम में अक्सर भयंकर तूफ़ान का भी सामना करना पड़ता है, जिसमें तेज हवाएं और भयंकर बारिश शामिल होती है। ख़राब मौसम की यह स्थिति सोलर पैनलों और उनकी संरचनाओं को नुक़सान पहुंचा सकती हैं। कई बार तो तूफ़ान की वजह से सोलर पैनलों के उखड़ने और टूटकर बर्बाद होने की भी संभावना होती है।
बरसात के मौसम की चुनौतियों को कम करने के उपाय:
बेहतर और विकसित तकनीक का उपयोग:
सोलर तकनीक में दिनों-दिन विकास हो रहा है। ज़्यादा बेहतर सोलर पैनलों और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (Energy storage system) का विकास, बरसात के मौसम के दौरान कम सूर्य की रोशनी के प्रभाव को कम करने में सहायता करता है।
ऊर्जा भंडारण समाधानों का उपयोग:
हमें ऊर्जा भंडारण समाधान के रूप में बेहतरीन और बड़ी बैटरी का उपयोग करना चाहिए। इससे सोलर पैनल ज़्यादा सूर्य के प्रकाश की स्थिति में अतिरिक्त ऊर्जा एकत्रित कर पायेंगे और आप बरसात या किसी बुरे समय के दौरान उस एकत्रित ऊर्जा का उपयोग कर सकेंगे।
मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाले यंत्रों का उपयोग:
मौसम की भविष्यवाणी करने और पूर्वानुमान विश्लेषण करने वाले यंत्रों उपयोग करके सोलर पैनल ऑपरेटर भविष्य के ख़राब मौसम के बारे में पहले ही जान जायेंगे। इस तरह की जानकारी बरसात के मौसम के दौरान, ऊर्जा संसाधनों को बेहतर तरीक़े से मैनेज़ करने में सहायता कर सकती है।
हाइब्रिड सिस्टम का उपयोग:
हाइब्रिड सिस्टम के अंतर्गत, सौर ऊर्जा को अन्य दोबारा उपयोग किए जाने वाले ऊर्जा स्रोतों जैसे पवन या जलविद्युत के साथ मिलाने से पूरे साल निश्चित तौर पर बड़ी आसानी से ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए बरसात का मौसम नुक़सानदायक होने के साथ-साथ फ़ायदेमंद भी है। बरसात के मौसम में सूर्य की रोशनी कम होती है और बादलों की वजह से सूर्य की किरणें न दिखने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद, सोलर पैनल लगातार ऊर्जा का उत्पादन करके सबसे बेहतरीन ऊर्जा विकल्प के रूप में सामने आता है।
वर्तमान में बेहतर तकनीक, अच्छी योजना और मौसम को लेकर की जाने वाली स्मार्ट भविष्यवाणी की वजह से, बरसात के मौसम की चुनौतियों से निपटना आसान हो गया है। बदलते समय के साथ हम नये-नये पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा विकल्पों की तलाश कर रहे हैं, ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण हो जाता है कि सौर प्रणाली अलग-अलग मौसम में किस तरह काम करते हैं। सोलर पैनल हमारे पर्यावरण को बिना कोई नुक़सान पहुंचाए अत्यधिक विश्वसनीय ऊर्जा का विकल्प प्रदान करते हैं और हमें ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनने में मदद करते हैं।